गुरुवार को साल का आखिरी सूर्यग्रहण सुबह 8.08 बजे शुरू हुआ और ग्रहण का मोक्ष (समापन) 10.59 बजे हुआ। 2 घंटे 50 मिनट का ग्रहणकाल देशभर में सर्वत्र खंडग्रास के रूप में नजर आया। सूर्य ग्रहण जैसी महत्वपूर्ण खगोलीय घटना को कई लोगों द्वारा वैज्ञानिक तरीके से देखा गया तो कुछ ने चश्में, एक्सरे फिल्म सहित अन्य माध्यम से इसे निहारा। महाकाल मंदिर में जहां शिखर सहित पूरे मंदिर को ग्रहण के बाद धोया गया। वहीं, खंडवा में ग्रहणकाल में भी दादाजी के दर्शन सहित हवन की विधि चलती रही। उज्जैन में तो 61.5 प्रतिशत तक सूर्य ढंक गया और मध्य स्थिति में सूर्य कंगन की आकृति जैसा दिखाई दिया। इसके पहले ग्रहों की यह स्थिति 296 साल पहले 7 जनवरी 1723 को भी थी।
इससे पहले सूर्य ग्रहण का सूतक काल शुरू हाेने पर शहर में मंदिराें के पट बुधवार शाम 7.30 बजे ही बंद कर दिए गए। मालवा निमाड के सभी मंदिरों के पट ग्रहण के दौरान बंद थे, लेकिन खंडवा के दादाजी मंदिर के द्वार खुले थे। यहां सामान्य दिनाें की तरह लाेगों ने दर्शन कर धूनी माई में आहूति अर्पित की। मंदिर ट्रस्टी सुभाष नागाेरी ने बताया दादाजी संसार की सारी मर्यादाओं के ऊपर हैं। ऐसा माना जाता है कि जगत काे बनाने वाले साक्षात परमात्मा यहां विराजमान हैं। सारा जगत उनके अधीन है। इसलिए यहां सू्र्य या चंद्रग्रहण का असर नहीं हाेता। दादाजी के समय से यह परंपरा है। 1930 से अब तक कई बार ग्रहण आए लेकिन यहां सेवा जारी रही। गुरुवार सुबह सुबह 8 बजे बड़ी आरती की गई, सुबह 10 बजे के बाद भाेग लगाया गया। छाेटे दादाजी के समय लिखी गई पुस्तक केशव विनय के अनुसार दादाजी महाराज दत्तात्रय, दुर्गा, शंकर, मोहम्मद और यीशु का अवतार माने गए हैं।
महाकाल मंदिर में ग्रणह के चलते आरती के समय में बदलाव किया गया। सुबह 10 बजे होने वाली भोग आरती दोपहर 12 बजे के करीब हुई। ग्रहण काल समाप्त होने के बाद पूरे मंदिर का शुद्धिकरण किया गया। मंदिर का शिखर सहित पूरे मंदिर को पहले पानी से धोया गया, फिर गंगाजल के छिड़काव के बाद भोग बना और इसके बाद भोग आरती हुई। जीवाजी वेधशाला के अधीक्षक डॉ.आरपी गुप्त के अनुसार यह वलयाकार सूर्यग्रहण था। भारत में कन्नूर, कोजीकोठ, मदुरै, मंगलौर व त्रिचूर में पूर्ण ग्रहण दिखाई दिया। वहां पूर्णता की स्थिति में सूर्य 96.9 प्रतिशत तक ढंक गया था।
सूतक लगने से पहले हुई मंदिरों में आरती
सूर्यग्रहण का सूतक गुरुवार रात 8.08 बजे लगने से आरती के बाद मंदिरों के पट्ट बंद कर दिए गए। खजराना गणेश मंदिर के पुजारी पं. अशोक भट्ट ने बताया खजराना गणेश मंदिर में बुधवार को सांध्य आरती एक घंटा पहले शाम 7 बजे की गई। इसके बाद मंदिर में भगवान के समक्ष पर्दा लगा दिया गया। बुधवार को खजराना गणेश मंदिर में भक्तों की संख्या भी ज्यादा थी, लेकिन भक्तों को पर्दे में से दर्शन करना पड़े। पश्चिम क्षेत्र स्थित रणजीत हनुमान मंदिर और खजराना क्षेत्र के काली मंदिर में भी गर्भगृह में प्रवेश बंद था। रणजीत हनुमान मंदिर में भी पट्ट बंद कर दिए थे।